भीलवाडा़, 12 जून। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन के लिए जिले में कार्यरत आरबीएसके टीमें नियमित रूप से ईट-भट्टों पर रहने वाले परिवारों के 0 से 18 वर्ष के बच्चे जो जन्मजात बीमारियों जैसे-कटे होंठ, कटे तालू, एनीमिया, विटामिन की कमी, कुपोषण, जन्मजात दिल की बीमारी आदि से ग्रसित है, इन बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण कर उच्च चिकित्सा संस्थानों में ईलाज की सुविधा प्रदान की जा रही है। जिले में चिकित्सा विभाग की टीमें नियमित रूप से 15 जून तक ईट-भट्टों पर काम करने वाली जगहों पर जाकर बच्चों की जन्मजात बीमारियों की पहचान कर रही है और आवश्यकता वाले बच्चों को निःशुल्क उपचार की सेवा दी जायेगी।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ0 चेतेन्द्र पुरी गोस्वामी ने बताया कि आरबीएसके के तहत मोबाईल हैल्थ टीमों के माध्यम से समुदाय के 0 से 18 वर्ष तक की आयु के सभी बच्चों की स्क्रीनिंग कर जन्मजात बीमारियों जैसे-कटे होंठ, कटे तालू, दिल में छेद, क्लब फुट (पैरों का मुडा होना), तंत्रिका ट्यूब दोष, डाउन सिंड्रोम, एनीमिया, विटामिन ए-डी की कमी, कुपोषण, जन्मजात मोतियाबिंद व कान समेत दूसरी अन्य बीमारियों की पहचान की जाती है तथा आवश्यकता वाले बच्चों को उचित प्रबंधन के साथ निःशुल्क उपचार व सर्जरी की सेवाएं अधिकृत उच्च चिकित्सा संस्थानों में प्रदान की जाती है। यह कार्यक्रम बच्चों को एक स्वस्थ जीवन देने, स्वास्थ्य की रक्षा करने और बाल स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मददगार साबित हो रहा है। मोबाईल हैल्थ टीमों के माध्यम से बीमारियों की पहचान के लिए जिले में 10 जून से 15 जून तक अभियान चलाया जा रहा है। विगत तीन दिनों में 148 ईंट-भट्टों पर 1288 बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया है। आगामी चार दिनों में जिले में सभी हाईरिस्क क्षेत्रों में जन्मजात बीमारियों से ग्रसित बच्चों की स्क्रीनिंग कर ली जायेगी और बीमारियों की पहचान होने पर निःशुल्क उपचार व सर्जरी की सेवाएं अधिकृत उच्च चिकित्सा संस्थानों में प्रदान की जायेगी।

Author: shiningmarwar
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